संगत करो नी निर्मल संत री म्हारी हेली लिरिक्स
प्रकाशित: 19 May, 2025
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शँकर तेरी जटा मे बहती है गंग धारा।
काली घंटा के अन्दर जिमि दामिनी उजारा।।
गल मुण्डमाल राजे, शशि भाल मे विराजे।
डमरू निनाद वाजे, कर मे त्रिशूल धारा।।
दृग तीन तेज राशी, कटिबन्ध नाग फाँसी।
गिरिजा है संग दासी, सब विश्व के अधारा।।
मृग चर्म बसन धारी, वृषराज पर सवारी।
निज भक्त दु:ख हारी, कैलाश मे बिहारा।।
शिव नाम जो उच्चारे, सब पाप दोष टारे।
ब्रह्मानन्द ना बिसारे, भव सिन्धु पार तारे।।
शँकर तेरी जटा मे बहती है गंग धारा।
काली घंटा के अन्दर जिमि दामिनी उजारा।।
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