संगत करो नी निर्मल संत री म्हारी हेली लिरिक्स
प्रकाशित: 19 May, 2025
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"सूती होती सत सेज में म्हारी हैली" एक प्रसिद्ध राजस्थानी भक्ति लोक भजन है, जो प्रेम, भक्ति और विरह की गहरी भावनाओं को व्यक्त करता है। यह भजन विशेष रूप से राजस्थान की संस्कृति में बेहद प्रिय है और भक्तों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है। आइये, इस भजन की लिरिक्स के माध्यम से हम भक्ति और प्रेम की एक नई दुनिया में खो जाएं।
सूती होती सत सेज में म्हारी हैली,
जागे तो जतन करे म्हारी हैली,
कबीर सपने रेन के,
भयो कलेजे छेद,
जड़ सोवु जड़ दोय जना,
जद जागु जद एक।
सूती होती सत सेज में म्हारी हैली,
जागे तो जतन करे म्हारी हैली,
जद जागु जद एकली म्हारी हैली,
रोये रोये रुदन करे म्हारी हैली,
लागो भजना रे वालो कोड म्हारी हैली,
चालो संतो रे देश।
छोड़ियो पीहर छोड़ियो सासरो म्हारी हैली,
छोड़ियो रंग भर देश म्हारी हैली,
पेरन पिताम्बर पेरिया म्हारी हैली,
सिर पर भगवोडा वेश म्हारी हैली,
चालो संतो रे देश।
पीयाजी बिना रे म्हारो,
भान पड़े म्हारी हैली,
जल बिना मछिया मरे,
कोई तो वतावो म्हारे,
श्याम ने म्हारी हेली,
रंग भर रास रमे म्हारी हैली,
चालो संतो रे देश।
धरा गगन बिच चालनो म्हारी हैली,
नही पवना रो प्रवेश,
पिछम वाट रे घाट पे म्हारी हैली,
एडो दीवानो देश म्हारी हैली,
चालो संतो रे देश।
नही उगे नही आथ्मे म्हारी हैली,
करोड़ भान प्रवेश,
बन्ना नाथ उन देश रा म्हारी हैली,
बार बार आदेश म्हारी हैली,
चालो संतो रे देश।
सूती होती सत सेज में म्हारी हैली,
जागे तो जतन करे म्हारी हैली,
जद जागु जद एकली म्हारी हैली,
रोये रोये रुदन करे म्हारी हैली,
लागो भजना रे वालो कोड म्हारी हैली,
चालो संतो रे देश।
इस भजन में एक भक्त अपनी प्रियतम से विरह और भक्ति की भावनाओं को व्यक्त कर रहा है। "सूती होती सत सेज में म्हारी हैली" के शब्दों में प्रेम, भक्ति, और विरह के तीनों रूपों को खूबसूरती से व्यक्त किया गया है। यह भजन न केवल राजस्थान की संस्कृति को दर्शाता है बल्कि भक्ति संगीत की शक्ति को भी महसूस कराता है।
भजन के शब्दों में शांति और समर्पण का भाव है, जो श्रोता को ध्यान और भक्ति की ओर प्रेरित करता है। इसका गहरा प्रभाव भक्तों पर देखा जाता है, और यह भजन समय के साथ जनप्रिय बनता जा रहा है।
राजस्थानी भक्ति भजन भारतीय संगीत और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। "सूती होती सत सेज में म्हारी हैली" जैसा भजन भक्ति और प्रेम का प्रतीक है। राजस्थान में इस प्रकार के भजन धार्मिक अवसरों पर गाए जाते हैं, जो लोक जीवन में एक विशेष स्थान रखते हैं।
भक्ति गीतों का महत्व इसलिए है कि वे श्रोताओं को एक आंतरिक शांति प्रदान करते हैं और भक्तों को ईश्वर के साथ गहरे संबंध में जोड़ते हैं। इस भजन के लिरिक्स न केवल मनोरंजन का स्रोत हैं, बल्कि एक गहरी आस्था और श्रद्धा का रूप भी हैं।
"सूती होती सत सेज में म्हारी हैली" का मतलब है— जब कोई भक्त अपने प्रियतम से दूर होता है, तो वह मानसिक रूप से बहुत अधिक पीड़ा महसूस करता है। यहां यह भजन एक भक्त के उस मानसिक संघर्ष को दर्शाता है जो उसे अपने प्रेमी (भगवान) से दूर होने पर महसूस होता है।
भजन में यह भी दर्शाया गया है कि भक्ति का मार्ग आत्म-समर्पण और प्रेम की भावना से भरपूर है। भक्त को भगवान की उपासना में निरंतर अपने आप को समर्पित करने की आवश्यकता है, ताकि वह आत्मिक शांति प्राप्त कर सके।
"सूती होती सत सेज में म्हारी हैली" न केवल एक भक्ति गीत है, बल्कि यह राजस्थान की संस्कृति का भी अभिन्न हिस्सा है। इसका सरल और गहन भावार्थ भक्तों को प्रेम, भक्ति और विरह के अनुभवों में गहरी समझ देता है। इस प्रकार के भजन हमारी आत्मा को शांति और संतुलन प्रदान करने के साथ-साथ हमें जीवन के सच्चे उद्देश्य की ओर मार्गदर्शन करते हैं।
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