बिन भाग मिले ना दुनियाँ में अमृत भोग लिरिक्स

बिन भाग मिले ना दुनियाँ में अमृत भोग !!

मधु होत अमृत के समाना, खाय प्राण तज देता स्वाना !

मखियाँ करत गन्दगी नाना, घृत से ही प्राण वियोग !!

मिश्री है अमृत से प्यारा, खर को देत तुरन्त जा मारा !

कौवा खाये नीम फल खारा, दाख पकयां गल रोग !!

जहां कथा होती है हर की, वहाँ नही रहती रुचि नर की !

के सोवे के बातां घर की, करण लग्या सब लोग !!

जहां अप्सरा नर्तकी गावे, वहाँ जाकर सारी रैन बितावे !

धुंकल कहे भाग सँ पावे, सत संगत सयोंग !!

$ बोल नाथ जी महाराज की जय $

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