एक दिन वो भोले भंडारी
बन कर के ब्रिज की नारी
गोकुल में आ गये है
पारवती भी मना के हारी
ना माने त्रिपुरारी,
गोकुल में आ गये है
पारवती से बोले मैं भी
चलूँगा तेरे संग में,
राधा संग श्याम नाचे
मैं भी नाचूँगा तेरे संग में,
रास रचेगा ब्रिज में भारी
हमें दिखो प्यारी ,
गोकुल में आ गये है……
ओ मेरे भोले स्वामी
कैसे ले जाओ तोहे साथ में,
मोहन के सिवा वहा
कोई पुरुष ना जाये रास में,
हँसी करे गी ब्रिज की नारी
मान लो बात हमारी,
गोकुल में आ गये है……
ऐसा बनादो मुझे को
कोई न जाने इस राज को,
मैं हु सहेली तेरी
ऐसा बताना ब्रिज राज को,
बना के जुड़ा पहन के साड़ी
चाल चले मत वाली,
गोकुल में आ गये है…….
देखा मोहन ने जब तो
समझ गए ओ सारी बात रे
ऐसी बजायी बंसी
सूद बूद भूले भोलेनाथ रे
सर से खिसक गयी जब साड़ी
मुस्काए गिरधारी
भोले शर्मा गए है
एक दिन वो भोले भंडारी
बन कर के ब्रिज की नारी
गोकुल में आ गये है
पारवती भी मना के हारी
ना माने त्रिपुरारी,
गोकुल में आ गये है
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